मेरे चित्र में, मेरी यात्रा का अगला पड़ाव दमन है। दमन समन्दर के किनारे बसा हुआ है। नानी दमन और मोटी दमन शहर दो भागों में बन्टा हुआ है। यह क्षेत्र भी गोवा की भांति पुर्तगाली शासन से, बाद में आजादी मिली। दमन वह जगह है जहां अंग्रेज लोग जिसे काले पानी की सज़ा देते थे उसे दमन में भेज देते थे। यहां आज भी उस जेल के अवशेष विद्यमान हैं। मैं
मुश्ताक जी और रविन्द्र जौल के साथ कार से जोधपुर, पाली,सिरोही, आबू, पालनपुर, पाटन, मेहसाना,आनंद, बडोदरा, सूरत, नवसारी होते हुए दमन पहुंचे। दमन केन्द्र शासित है। सिलवासा तथा दादरा हवेली भी केन्द्र शासित है। यह जगह भी पुर्तगालियों के कब्जे वाला क्षेत्र था जो भारत की आजादी के बाद भी पुर्तगाल के कब्जे में रहा और बाद में आजाद हुआ।























































































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